नेता जी मस्त जनता जी पस्त
Edited by : Dr. V.S.Mishra Date 09/02/2024
बिहार के समस्त पस्त हो रहे जनता को कलम से सलाम।बीते दिनों की अगर चर्चा को परिचर्चा बनाए तो शायद ही हमें शर्म और घुटन महसूस ना हो, परंतु ‘जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां” हम तब कितने विवश हो जाते हैं जब हमारे उम्मीदवार हाथ जोड़ आते हैं साथ घूमते हैं, स्वप्न दिखाते हैं, और चले जाते हैं| और पदस्थापित होते ही गिरगिट को पीछे छोड़ते हुए सारे अपने लाभ के फैसले लेते हैं।अपने-अपने को जनप्रतिनिधि कहते हैं। जनता की आवाज और पता नहीं क्या-क्या कहे फिरते हैं, अभी बिहार के परिदृश्य को देखें तो समझ में नहीं आती है जिस भाजपा ने एक सीट के कारण लोकसभा भंग कर दिया क्या वही भाजपा और उसके प्रतिनिधि हैं?आश्चर्य तब होता है जब सुबह को गाली-गाला, और शाम को माली – माला। यही है अब राजनीति का अर्थ, वहीं भारत में गृह मंत्री को अपना घर नहीं था, आज अगल-बगल के प्रतिनिधियों को बिना चार चक्के का देखा है? कहा गई वसुदेव कुटुंबकम की बातें। सिर्फ स्वार्थपरक राजनीति कब तक ? हिंदू,मुस्लिम, सिख, इसाई की बातें कहां है।धर्म को छोड़ संप्रदाय पर टीकी सरकारी पार्टियों क्या कर रही है। बस जनता पर थोप दो, लड़ा दो शाम में सभी पार्टियों के लोग जाम साथ लड़ाएंगे मरे सिर्फ जनता।
जब दिल जलता है, लपटे जुबान पर आता ही है पुरानी कहावत है| मैं बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री का फैन रहा हूं, पर इस कीमत पर नहीं कि आप हमें तवायफ बना दे। है आप विकास पुरुष,पर इन शर्तों पर नहीं की आप हमारे आत्मसम्मान ही बेच दे। चाहिए विकास पर युवाओं के करियर को दांव पर लगाकर नहीं। हु मैं भी सनातनी पर संप्रदायों के दो धारी तलवारों पर खड़े होकर नहीं|
हमें शांति सोहरदपूर्ण विकास के पथ पर अग्रसर बिहार चाहिए।माननीय से गुजारिश है हमें स्थाई विकास और आत्मसम्मान की परिकल्पना को साकार करने वाले प्रतिनिधि और सरकारें चाहिए।
ऐसे ही गोला दागते रहिये
Bihar me neta ji k yhi sab haal hai
Khali loot put krega